Thursday, April 24, 2014

Social Equality

drawing room, bedroom, kitchen,
पूजा घर, bathroom, toilet
सबकी अपनी अपनी अहमियत होती है,
जरूरत होती है.
पर ये भी तो नाइंसाफी ही है कि,
drawing room के हिस्से sofa  आ जाये
और bedroom के हिस्से गद्देदार  bed
kichen चूल्हे की गर्मी में तपती रहे
और बेचारा पूजा घर,
जहाँ luxury के नाम पर बस एक mat पड़ा है
bathroom, toilet तो कुछ दलित जैसे हैं
जो भी हिस्से में आ जाये क़ाफी  है, luxury है
पर ये  सबउसके १०० गज के घर को टुकड़ो में बाँटते हैं
भेदभाव पैदा करते हैं, right to equality defy करते हैं
इसलिए उसने घर की सारी internal दीवारें निकलवा दी
अब सब कुछ खुला है, sofa, bed, mat सब सामान वही है
पर inequality नहीं है.
अब अपने बैडरूम के गद्देदार  bed से ही वो
पूजा की चौकी पर विराजमान ईश्वर के दर्शन कर लेता है
या पूजा की mat पर बैठे बैठे TV news, गानो का मजा ले लेता है
हाँ दिक्कत होती है जब किसी family member की नज़रे
उसकी नज़रों से भीड़ जाती है जब वो toilet पर बैठा होता  है 
अगरबत्ती आज भी सुबहः सुबहःरोज जलाता है
लेकिन भगवान के लिये नही, बल्कि उस दुर्गन्ध को मिटाने के लिये
जो आती है उसके अपने दलित से !
घर में आज equality कायम है पर सुकून लापता है !

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