Monday, July 20, 2009

पदचिन्हों की खोज ......

आज जमीं पर बैठा बेसुद
बसुधा में कुछ खोज रहा
नज़रों में जनमानस की
ये पागल क्या ढूँढ रहा

जनमानस की कथनी का
कुछ फर्क नही पड़ने वाला
जनमानस के लिए समर्पित
नही रुकेगा ये मतवाला

मेरी हर दृष्टि के आगे
मिटटी के विसरित कण हैं
नही डिगेगा साहस मेरा
आज यह मेरा प्रण है

नही रुकुंगा नही थकूंगा
जब तक न तुमको पा लूँ
चाहे मुझको जाना हो
है फैला जहाँ केवल बालू

मेहनत करने वालों को
निश्चित सफलता मिलती है
श्रम-लगन-साहस की कश्ती
हि जलधी नापा करती है

अथक प्रयासों से आखिर
उस पगडण्डी से मिल पाया
चलकर गाँधी ने जिस पर
सत्यअहिंसा पथ दिखलाया

आज मुझे दे दो वचन तुम
धुलित न इसको होने देंगे
पगडण्डी को पकड़े तू चल
जीवन इन्द्रधनुषीय होंगे

लो फिर से मिल गए
गाँधी के कदमों के निशान
चल इन पद-चिन्हों पर तू
कर पथ की पहिचान !!!



Friday, July 17, 2009

unconditional love....

प्यार मेरे दिल में संचित,
आज बहुत व्याकुल है
बैठो
तुम मेरे सम्मुख ,
कहने को कुछ आतुर है

तुम मेरे दिल की दस्तक,
तुम मेरे दिल की धड़कन
समझो तुम या ना समझो,
आज सुनो तुम मेरा मन

तुम्हारे लिए ही ये बाहें खुली हैं ,
मुझे पूर्ण कर दो करो आलिंगन/
तुम्हारे लिए ही हैं मेरे साँसे,
तुम्हारे लिए ही मेरा जन्म /
मेरी तमन्ना तुम्ही मेरी चाहत,
बने मेरी जोड़ी जैसे राधा कृष्ण/
मेरे मन को महका रही है,छूके
तुम्हारे बदन को जो आई पवन /
ना मुझसे कभी दूर होना प्रिये,
मैं तेरा चंदन तू मेरी भुजंग /
भ्रमर कोई जब भी कली से मिला,
सुनने पड़े दोनों को कड़वे कथन/
लोगों की बातों को ना तुम सुनो,
कहाँ दूर होते हैं भानु-किरण /
तेरा साथ दूंगा हमेशा सखी ,
जिस छोर मिलते हैं धरती गगन /
बस सामने मेरे तुम बैठी रहो,
पीता रहूँ तेरा रूपमय यौवन /

Thursday, July 16, 2009

बुनियाद हिलनी चाहिए.....

भेड़ियों और गीदडों की देखो कैसी भीड़ है
फिर किसी को आज आजाद बनना चाहिए

उजले कपडों में देखो कैसे काले मन छिपे
आज चौराहे पे इनका चीर खिंचना चाहिए

दफ्तरों व कालिजों में कैसी अयोग्य भीड़ है
आज आरक्षण पे पुरी रोक लगनी चाहिए

जाती-धर्मं के जाल में तू हमेशा ही फंसा
फेंक उल्टा जाल,काँटा मुंह में फँसना चाहिए

मत भूल तेरे वोटों ने आज इनको बल दिया
संकल्प ले फिर से ये बुनियाद हिलनी चाहिए

Sunday, July 12, 2009

सिर्फ़ तुम

ये रात दो दिलों का मिलन,
सो गए नगर सो गया चमन,
सो गई गली सो गई कली,
हवा मंद-मंद चलने लगी

अंचल में तारों को लिए चांदनी,
गले चाँद को मिलने चली ,
चाँद भी तेरा दीवाना वना ,
देखकर चांदनी तुझसे जलने लगी,
तेरे हुस्न के सामने ;
चाँद मद्दम लगने लगा ,
प्यार में तेरे पागल बना ,
सरमा के बादल में छिपने लगा

आसमान की चमक खोने लगी,
नभ में कली घटा छाने लगी
अदभुत दृश्य बनने लगा ,
भू से भानु उगने लगा

बागों में फूल महकने लगे,
भौरें फूलों पे खिलने लगे
समीर कह रही आ मिल जा गले
देखेंगे कली फूल सब अधखिले

जरुरत नही है ...

  मुझे अब तेरी जरुरत नहीं है तेरे प्यार की भी ख्वाहिश नहीं है कहानी थी एक जिसके किरदार तुम थे कहानी थी एक  जिसके किरदार हम थे अपना हिस्सा बख...