Sunday, September 27, 2020

हम तुम

 दुनिया बहुत छोटी है। सब ऐसा कहते हैं लेकिन मुझे अभी अभी इस तथ्य का अनुभव हुआ जब मैंने अचानक अंकिता को पोपकोर्न काउंटर पर देखा। मैं भी बिल्कुल उसके पीछे खड़ा था। मुझे भी पोपकोर्न लेनी थी। हालांकि मुझे पोपकोर्न पसंद है लेकिन मल्टीप्लेक्स की पोपकोर्न के दाम जीभ के स्वाद को थोड़ा फीका कर देते हैं। खैर, इसको आप मेरी कंजूसी भी मान सकते हैं।

मैं शायद उसको बहुत गौर से देख रहा था। बिल्कुल वैसे ही जैसे मैं उसे देखता था एक मुस्कुराहट के साथ, मेरी शादी होने से काफी पहले तक। उसने भी पेमेंट किया, पॉपकॉर्न bucket लिया, मुड़ी और फिर एक सेकंड के लिए शायद मुझे देखा होगा, वैसे ही जैसे कोई भी देखता है एक अनजान भीड़ को। 
दूसरा तथ्य जो मुझे समझ आया कि दुनिया जितनी छोटी होती है, उसकी मेमोरी भी उतनी ही छोटी है। ये कोई चिंतन का समय नही था कि मैं ये सोचूँ कि उसने मुझे पहचाना तक नही? हालांकि, मेरे नजरिये से तो हमारे बीच गहरी दोस्ती रही थी। गहरी भी इतनी कि मैं तो यही मानता हूँ कि उसके बांए गाल पर जो तिल है उसका रंग थोड़ा धुंधला पड़ गया था मेरे कारण। मैंने उसे कितनी बार छुआ होगा मुझे भी याद नही, कभी हंसी मजाक में तो कभी प्यार में।
मैंने उसे यदि इतनी आसानी से पहचान लिया था तो इसमें भी कोई विशेष बात नहीं थी जिसका मैं क्रेडिट लूँ । और यदि उसने मुझे नही पहचाना तो इसमें भी कहीं मेरी ही खामी थी। मैं शायद एन्टीसोशल टाइप प्राणी हूँ और शायद नहीं भी। लेकिन एक बात तो पक्की है कि facebook और Instagram जैसे प्लेटफार्म पर तो मैं अपने को antisocial ही कहूंगा। मैंने पिछले ६ साल से कोई अपडेट नहीं किया था अपने फेसबुक पर जबकि फेसबुक पर उसके अपडेट धड़ल्ले से आते हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं उसकी दुनिया की हलचल से अनजान था . दिन में 2-4 बार तो मैं भी देख लेता हूँ अपना फेसबुक खोलकर, और आज सुबह ही उसकी ताजी ताजी पोस्ट भी देखी थी। उसने अपना एक फ़ोटो अपलोड किया था। शायद recently नई कार ली है। white होंडा अमज़े के साथ बहुत खुश नज़र आ रही थी। लेकिन वो मुश्किल से ही कभी सिंगल फ़ोटो डालती है। लेकिन आज उसने एक्स्ट्रा फ़िल्टर लगे वो फ़ोटो नही डाले थे जिनमें में उसके बाएं गाल का तिल ढूंढने में, मैं हमेशा असफल रहा। 
मैं इतने में पॉपकॉर्न लेता और पेमेंट करता, वो थिएटर में जा चुकी होती। अभी मूवी बची थी। पिक्चर इनटरवल में हम दोनों बाहर आये थे। इसलिए, मैंने उसको आवाज दी - अंकिता।
उसने पलट कर काउंटर की तरफ देखा कि आवाज किसने दी। मैने हल्का सा अपना हाथ उठा कर wave किया। कुछ सेकंड के लिए उसने मुझे देखा फिर उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट खिल उठी।
वो मेरी तरफ आयी और मुझे hi बोला .
मैंने भी मुस्कराकर hi कहा.
"For a moment I could not recognise you. You have so much changed!" उसने कहा.
उसकी अचरज भरी आँखों में मैंने वो सब देखा जो मैंने facebook की दुनिया से छिपा रखा था . पिछले ६ सालों में मैं एक लड़के से अधेड़ उम्र का आदमी बन चुका था .
"but you have not Changed a bit. still looking same as we met last time." उसकी ही सिखाई जुबान में उसकी तारीफ करने से मैं अपने को न रोक पाया। इसको आप फ़्लर्ट भी कह सकते हैं।
एक गुलाबी सी मुस्कान उसके गालों पर पसर गयी बिल्कुल वैसे ही जैसे अंधेरी रातों में चौथाई चाँद दिखता है। blush से कहीं ज्यादा खूबसूरत।
"यहां कैसे?" मैंने उसकी आंखों में सीधे देखते हुए पुछा.
"मूवी देखने आयी हूँ"
"हाँ, हाँ that is obvious. I mean what are you doing in Ghaziabad?"
"I am working in sector 62."
इतने में काउंटर बॉय ने पॉपकॉर्न बकेट काउंटर पर रखकर बोला- sir your order is ready.
यूँ तो मैंने सिर्फ formality में पूछा था कि यहाँ कैसे, वैसे तो facebook ने मुझे सब बता रखा था।तभी एक नौजवान लड़का वाशरूम की तरफ से हमारी और आता दिखा।
तब उसने मुझे उस लड़के से मिलवाया। उसकी हालही में शादी हुई थी। ये भी ज़ुकरबर्ग भैया की मेहरबानी से हमे पहले से ही पता था। लेकिन मैं आपको बता दूं कि ये सब सुनने के बाद आपके मन में यदि मेरे लिए एक negative opinion बनती है जैसे कि stalker या creep टाइप, तो आपको इलाज की जरूरत है। खैर, वो नोएडा में किसी software कंपनी में जॉब करता है। शादी की बात पर मैंने 'यार बताया नही' एक्सप्रेशन देते हुए wow, ग्रेट जैसे शब्दों की गार्निशिंग के साथ many many congratulations कहा। और मुझे लगता है कि ये बताने की जरूरत नही है कि यह कहते हुए मेरी खुशी का तो कोई ठिकाना ही नही था। खुशी दिखाए बिना congratulation कहना तो मैं अपराध मानता हूं और कृपणता की पराकाष्ठा।
छोटे से वार्तालाप के बाद वो स्क्रीन 3 में चली गयी और मैं स्क्रीन 1 में। हमेशा की तरह आज भी हमारी choices अलग थी।
लेकिन आज मुझे एक बात का एहसास हुआ कि हम दोनों ही mature हो चुके थे। मैंने कभी सोचा भी नही था कि हम कभी जिंदगी में मिलेंगे और मिलेंगे भी तो ऐसी मुस्कान के poसाथ। क्या आप कभी मिले हैं अपने ex से इस खूबसूरती के साथ? जैसे कि दो मित्र मिलते हैं एक लंबे अरसे के बाद। शायद मेरी तरह उसने भी सब कुछ भुलाकर सिर्फ वो लम्हे याद रखे थे, जिनमे हम दोस्त थे, crush या lover नही। उस शाम, तकरीबन 6 साल बाद, मेरे फेसबुक पर उसका फिर से मैसेज आया जिसमे लिखा था, lets meet on some weekend.
मैंने अपने को शीशे में देखा और खुद से कहा - क्यों नही! चलो एक बार फिर से दोस्ती दोहराएं हम दोनों...
Disclaimer : उपरोक्त कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं😁😊

~Rahul Rajput

Thursday, September 24, 2020

मैं किसान हूँ...

 सपनों की दूबे उगती हैं

मेरे भी अंतर मन में
करने को आबाद मेरे यथार्थ को!
या करने को बर्बाद मेरे यथार्थ को?
मैं किसान हूँ...

खेतों में उपजी गैर जरूरी
खरपतवारो की भाँति ही
उखाड़ फेंकता हूँ मैं उनको
उनके कच्चे शैशव में ही
और बचा पाता हूँ मेरे यथार्थ को!
मैं किसान हूँ...

मैं जर्रा जर्रा धुन लेता हूँ
अस्थि पंजर-से शरीर का
कि बन पाऊँ गंगाजल
अपने कुमलहाते परिवार का

हाय! श्रम-वारि से सिंचित 
क्यों अन्न सस्ता बिकता है
किसान हित में ऊपर वाला
क्यों फूटी किस्मत लिखता है?

मैं खुद को भी यदि गाड़ दूं
धान के पौधे जैसा खेत में
और फुट पड़े नन्ही कोपल
मेरे अंग अंग हर एक से
मेरी रूह से सिंचित फलों को
क्या बेच सकोगे बाजार में
तुम सोने-से भाव पर?
यूं रहमत कर पाओगे मेरे परिवार पर?

जरुरत नही है ...

  मुझे अब तेरी जरुरत नहीं है तेरे प्यार की भी ख्वाहिश नहीं है कहानी थी एक जिसके किरदार तुम थे कहानी थी एक  जिसके किरदार हम थे अपना हिस्सा बख...