Monday, September 9, 2013

गेहू बनाम गुलाब



गुलाब !
सुन्दर है
बौधिक है
मंच से प्रेषित अभिव्यक्ति है
और गेहू ?
तुच्छ, रूपहीन, घुन-सा
पाटो तले पिसने वाला 
पर फिर भी मुझे तो
गेहू की ही चिंता है
मुझे तो पहले पेट की चिंता है.

गुलाब का सौंदर्य,
 नजाकत, माधुर्य,
उन्ही नजरो से नज़र आता है
जिनका पेट भरा होता है
खाली पेट के लिए तो,
गुलाब कांटो से घिरा
हवा के थपेड़ो से डरने वाला
कुछ मेरी ही तरह है
कमजोर, वेचारा, बेवस, बेवाक.
चाहते हुए भी
मेरी प्राथमिकताएं-
गेहू को जिता देती है
गुलाब को हरा देती हैं
जब भी होता है मुकाबला 
गेहू बनाम गुलाब!!!  ~RR

Wednesday, September 4, 2013

जब हो जाती तुम उदास...



गुस्सा होना जायज है

आँखों में पानी जायज है

पर मेरी दुनिया बसती है

तेरे नयनो में ही, ये बात जरा स्वीकार करो

अब तक झीले मीठी थी

रोको अश्रु मेरी खातिर, आँखों को खार करो  

मत बोलो; कोई बात नहीं

अधरों को सोने दो, पर आँखों से तो बात करो

कोपल से होठो को खीचो

मेरी व्याकुलता हरने को, मीठी सी मुस्कान भरो



माना मुस्कानों में ही छिपी हुयी है जिंदगी की मिठास

पर और भी सुन्दर लगती हो जब हो जाती तुम उदास

जरुरत नही है ...

  मुझे अब तेरी जरुरत नहीं है तेरे प्यार की भी ख्वाहिश नहीं है कहानी थी एक जिसके किरदार तुम थे कहानी थी एक  जिसके किरदार हम थे अपना हिस्सा बख...