Friday, October 15, 2021

किस्मत!

 किस्मत की गुल्लक फोड़ी

निकली न फूटी कौड़ी
किस्मत और मेरी जोड़ी
दुल्हन और दूल्हा घोड़ी
दुल्हन दूल्हे की हो ली
खड़ी देखे बेचारी घोड़ी।

Thursday, October 14, 2021

सोसाइटी में बंदर!


(1)
बंदरों की संख्या
काफी बढ़ गयी है
मेरी सोसाइटी में...
हम इंसानो की तरह से ही!

इस समस्या से निबटने के लिए
एक लंगूर की व्यवस्था कर दी गयी है।
आज्ञा से- सोसाइटी प्रबंधन

मेरा सवाल- इस बात की क्या गारंटी
कि लंगूर बंदरो से सांठ गांठ करके
बदमाशी नही करेगा?
सोसाइटी प्रबंधन-
  1. वह लंगूर है, इंसान नही
  2. उसके गले में रस्सी बांध कर रखी जायेगी।

मान लो कि लंगूर
इंसान जितना गिर भी गया
तो भी, मौत का साया
उसे बदमाशी नही करने देगी।

(2)
कुछ इनोवेटिव आईडिया नही हो सकता है?
जैसे? सोसाइटी ने पूछा

बचपन की एक बात बताता हूँ
एक बंदर को पकड़ कर
उसका मुंह काला कर दिया गया था
जैसे आजकल मीडिया करती है
Randomly, किसी का भी
बिना किसी गुनाह के लिए...

ये लड़कपन की शरारत थी
उसके एक लंबी, नकली पूंछ
Tape से चिपका दी थी
और फिर उसे छोड़ दिया
एक बंदर को लंगूर बना दिया
यूं हमने...

सोसाइटी- ये अमानवीय है।
मैं- और गले में रस्सी बांधना?
सोसाइटी- वो तो अब पालतू है।


(3)
खैर, ये इनोवेटिव आईडिया
कुछ समय के बाद fail हो गया
काले मुंह के बंदर को देख
सब बंदर भाग जाते थे
क्योंकि उनको लगता कि
वो लंगूर है।
लेकिन था तो बेचारा बंदर ही
अपनी जमात से अलग कैसे रहता।
वो बंदरों के झुंड में अपने ढूंढता रहा
और बंदरो के झुंड ने उसे बंदर मानने से
साफ इंकार कर दिया...
जैसे कोई लड़का या लड़की
अपने बदन पर tatoo गुदवा ले
और उसका समाज स्वीकृति न दे।
पहनावे, भाषा, धर्म, जाति के आधार पर
जब बुद्धि-पालक इंसानी झुंड
किसी को अपने झुंड से बाहर कर देता है
तो बंदर की क्या ही बिसात!

काले मुंह वाला बंदर उदास था
अब वह अकेला था
और बंदर झुंड की शरारत, ज्यों की त्यों।

(4)
एक दिन काले मुंह वाले बंदर ने
गॉंव छोड़ दिया
और शामिल हो गया
लंगूरों के झुंड में
उसमें लंगूरों जितना हुनर न था
फिर भी लंगूरों ने उसे दोस्त बना लिया।
सम्पूर्ण लंगूर समाज ने
उसके बंदर से लंगूर बनने के जज्वात को
ससम्मान सलामी दी।
बंदर अपने से बस यही कह सका-
कि मुंह काला होना
उसकी बदकिस्मत थी
या खुशकिस्मत?

~राहुल राजपूत

Wednesday, October 13, 2021

जहां से मैं आया हूँ...

 जहां से मैं आया हूँ,

वहां इश्क की गलियां तंग हैं
गाड़ी की गुंजाइश नही,
पैदल चल सको तो चलो।

हर दफा इश्क़ में पहले भी,
मैं लुट चुका हूँ
सोच लो, खोने को कुछ नही,
चल सको तो चलो।

ठोकरें खाई बहुत,
संभाला खुद को गिरा नही
इश्क़ की बैशाखियां ले
तुम भी चल सको तो चलो।

पता नही इश्क़ किस्मत में
मेरी है या नहीं
खैर, एक बार फिर से
तुम मुझे लूट सको तो चलो।

Sunday, October 10, 2021

वफ़ा को वफ़ा का ना नज़ारा मिला

नही जानता
कैसे गुजरी
वो रात नशीली
तेरे नैनों-सी
मेरे सवाल का
मिला जबाब था
इश्क़ का पहला
वो इजहार था....

'हाँ' तेरी पाकर
मैं जीता था दुनिया
ख्वाबों पर  रंगत
ले आयी तेरी हाँ...

तेरी हाँ में, हंसी के पीछे
छुपी चाल का न कोई इशारा मिला...
वफ़ा को वफ़ा का ना नज़ारा मिला।
ऐसा तोड़ा कि दिल ना दोवारा जुड़ा।

तुम्हे याद नही होगा
दिन साथ में काटे थे
दौड़ गले मिलने
हम छुप छुप आते थे

हम तो वही बुद्धू जो मरते रहे तुमपे
प्यार नया पाकर तुम ऐसे हमे भूले
जनम कोई तुमको जैसे दोबारा मिला
मुझे फूटा नसीबा ऐसा न्यारा मिला।
कि नए जूतों में भी कांटा गहरा लगा।

प्यार के बदले खंजर पाया
बिखरे दिल का मंजर पाया
ओ हरजाई हुस्न नकाबी
रकीब को मेरे पूछे तू भी
खेलने को दिल भी मेरा बेचारा मिला?
वफ़ा को वफ़ा का ना नज़ारा मिला।
ऐसा तोड़ा कि दिल ना दोवारा जुड़ा।


आज मिले हो
कब के बिछड़े
जहां छोड़ा था
हैं वही हम खड़े
मेरे रकीब से
पता चला है
आशिक पिछला
बड़ा बेवफा है
ऐसा भोला
मेरा यार था
बेबजह ही
मेरा प्यार था....

तेज निगाहें, नज्म अदाएं
पहले पहले, दिल बहलाय
ओ बेदर्दी, कट्टर जुल्मी
रकीब को मेरे पूछे तू भी
क़त्ल यूं करके जश्न-ए-बहारा मिला?
वफ़ा को वफ़ा का ना नज़ारा मिला।
ऐसा तोड़ा कि दिल ना दोवारा जुड़ा।

~राहुल राजपूत © 

Saturday, October 2, 2021

गीत- अब ना रहा मैं मेरा....

 परिंदों के जैसा

मैं उड़ रहा हूँ

मुझको पता ना

मैं अब कहाँ हूँ

जब से बना मैं तेरा...

तुम मानो ना मानो

अब ना रहा मैं मेरा...

 

मेरे रास्तो से

मंजिल भी पूछे

क्यों चल रहा है

क्या तुझको सूझे

जो तुझको पाया

तो पा लिया ये जहां...

तुम मानो ना मानो

अब ना रहा मैं मेरा...

 

खुला आसमां है

हवा बह रही है

दरख्तों की अपनी

गुफ्तगू हो रही है

तुम हो तो मैं हूँ,

तुम से है जीना मेरा

तुम मानो ना मानो

अब ना रहा मैं मेरा...


~राहुल राजपूत ©

जरुरत नही है ...

  मुझे अब तेरी जरुरत नहीं है तेरे प्यार की भी ख्वाहिश नहीं है कहानी थी एक जिसके किरदार तुम थे कहानी थी एक  जिसके किरदार हम थे अपना हिस्सा बख...