Saturday, March 18, 2023

मेरे रकीब को पता नहीं है

मेरे रकीब को पता नहीं है 
वो स्याही है काजल नहीं है 

तुमसे पहले वो मेरा था 
चेहरा उसका असल नहीं है 

बातें वफ़ा की मत करना 
रस्म-ए-वफ़ा आजकल नहीं है

मिलना बिछड़ना दस्तूर है 
कोई ताल्लुक अज़ल नहीं है 

उसकी सोहबत में जाना 
प्यार की शर्त वसल नहीं है.

बहुत मीठी है उसकी बोली
ग़ज़ल सी है पर ग़ज़ल नहीं है 

सब कुछ होना कुछ भी नहीं
खुदा की गर फ़ज़ल नहीं है. 

~ rahul
अज़ल = शाश्वत, वस्ल = मिलन , फ़ज़ल =कृपा 

Wednesday, March 8, 2023

होली का रंग जी भर देखा

 

मेरे चेहरे ने होली का रंग जी भर देखा 
और नजरिया रखने वालों ने बस मुझको बेरंग देखा 

भाई ने अपना, माँ ने लाड में दुबला देखा 
यार दोस्तों की मंडली ने वही पुराना हुड़दंग देखा 

ख्वाब उकेरती उसकी आँखे जादूगरनी 
मैंने उसकी आँखों में हर रंग जीवन का संग संग देखा 

जग सीमा तय करता आया, हे हिरनी 
जब जब लैला ने खुद का बंन्धन मजनू के संग संग देखा 

पुरुषवाद की बेड़ी तोड़ो, जीवन जननी!
मनुवाद को, आडम्बर को निपट नराधम बेढंग देखा 

चश्म-ए-बद से दो दो हाथ करो, मोहिनी!
न्याय व्यवस्था, सरकारों को बीच चौराहे अध् नंग देखा

अलमस्त दीवानों ने दुनिया को सतरंग देखा
और सिकंदर जैसों ने जग को इक मैदान-ए-जंग देखा 

~राहुल 

Friday, March 3, 2023

क़त्ल-ए-आम करती है

 

क़त्ल-ए-आम करती है वो नश्तर-सी आँखों से
बड़े बेचैन लगते हो मिलन को उस कातिल से

जो कहना था कह डाला इशारों ही इशारों में 
कोई खुश था, कोई लौटा बड़ा मायूस महफ़िल से 

भंवर इतना घना था कि मेरा डूबना तय था
खुदा ही था; बचाने जो मुझे आया साहिल से 

अहमियत कम ही रखता है हुनर-ए-खास का होना 
मगर ज्यादा जरुरी है दिखें किरदार काबिल-से 

ये मुमकिन है घने जंगल सलामत पार कर जाओ 
अक्सर सांप डसते हैं निकल आस्तीनों के बिल से

तू ही अकेला है नहीं जो उम्रभर नौकरी करता 
बचत के नाम पर एक घर बना पाता है मुश्किल से

~Rahul

जरुरत नही है ...

  मुझे अब तेरी जरुरत नहीं है तेरे प्यार की भी ख्वाहिश नहीं है कहानी थी एक जिसके किरदार तुम थे कहानी थी एक  जिसके किरदार हम थे अपना हिस्सा बख...