Wednesday, May 12, 2010

वक़्त की रफ़्तार को काश मैं रोक पाता !


my few days at my college ,i feel like...


वक़्त की रफ़्तार को काश मैं रोक पाता
तेरे साथ बिताया लम्हा, लम्हा ही रहता
पर गुजरे पल कैसे होंठो पर आते, गर
स्मृति दर्पण कोई चेहरा ही देख पाता ?

जरुरत नही है ...

  मुझे अब तेरी जरुरत नहीं है तेरे प्यार की भी ख्वाहिश नहीं है कहानी थी एक जिसके किरदार तुम थे कहानी थी एक  जिसके किरदार हम थे अपना हिस्सा बख...