Sunday, July 12, 2009

सिर्फ़ तुम

ये रात दो दिलों का मिलन,
सो गए नगर सो गया चमन,
सो गई गली सो गई कली,
हवा मंद-मंद चलने लगी

अंचल में तारों को लिए चांदनी,
गले चाँद को मिलने चली ,
चाँद भी तेरा दीवाना वना ,
देखकर चांदनी तुझसे जलने लगी,
तेरे हुस्न के सामने ;
चाँद मद्दम लगने लगा ,
प्यार में तेरे पागल बना ,
सरमा के बादल में छिपने लगा

आसमान की चमक खोने लगी,
नभ में कली घटा छाने लगी
अदभुत दृश्य बनने लगा ,
भू से भानु उगने लगा

बागों में फूल महकने लगे,
भौरें फूलों पे खिलने लगे
समीर कह रही आ मिल जा गले
देखेंगे कली फूल सब अधखिले

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