Thursday, July 16, 2009

बुनियाद हिलनी चाहिए.....

भेड़ियों और गीदडों की देखो कैसी भीड़ है
फिर किसी को आज आजाद बनना चाहिए

उजले कपडों में देखो कैसे काले मन छिपे
आज चौराहे पे इनका चीर खिंचना चाहिए

दफ्तरों व कालिजों में कैसी अयोग्य भीड़ है
आज आरक्षण पे पुरी रोक लगनी चाहिए

जाती-धर्मं के जाल में तू हमेशा ही फंसा
फेंक उल्टा जाल,काँटा मुंह में फँसना चाहिए

मत भूल तेरे वोटों ने आज इनको बल दिया
संकल्प ले फिर से ये बुनियाद हिलनी चाहिए

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