एक था मरकज, एक था कुम्भ
एक निराधम, एक विशुद्ध।
एक आक्रांता, एक सनातन
एक जलालत, एक तथागत।
एक स्वार्थी, एक उदार
एक महामारी, एक उपचार।
वाह मेरे ओ मीडिया-कार!
Democracy के आधार।
मुझे अब तेरी जरुरत नहीं है तेरे प्यार की भी ख्वाहिश नहीं है कहानी थी एक जिसके किरदार तुम थे कहानी थी एक जिसके किरदार हम थे अपना हिस्सा बख...
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