Sunday, April 25, 2021

नैनन तेरे...

 नैनन तेरे

दो दिए जलते
रोम रोम हर
आंनद भरते
तेरा होना
सब पूजा-सा
तू ही कान्हा
न दूजा-सा।
फिर क्यों मैं थाल सजाऊँ
अगर कपूर से घर महकाऊं
शुभ लाभ तेरे
अधरों से झरते
नैनन तेरे
दो दिए जलते।

हाथों में तेरे
जादू टोना
छू ले, कर दे
मन को सोना
किस किस को क्या भोग लगाऊं
धनिक मैं ऐसा, क्या बतलाऊँ
मुस्कानों में
सब रस झरते
नैनन तेरे
दो दिए जलते।

~राहुल

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