Friday, April 15, 2011

कुछ सवाल......


हर सुबह
अधखुली-सी
नींद में
अलसाई आँखें
जाग उठती हैं
अचानक!
जब आइने में
देखता हूँ, कि
पलकों तले से
शीशे-से साफ़
बेचैन सपने
पूछते हैं
बस एक सवाल-
‘कब करोगे मुझको पूरा?’

हर शाम
मजबूर हूँ
ढूँढने को
एक बहाना, कि
क्या कहूँगा!
जब दृगों में
लेकर चमक
बड़ी नादानागी से
हृदय मेरा
हर शाम
पूछता है
बस एक सवाल-
‘कब कहोगे उनसे तुम
दिल की बात?’

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