Saturday, March 18, 2023

मेरे रकीब को पता नहीं है

मेरे रकीब को पता नहीं है 
वो स्याही है काजल नहीं है 

तुमसे पहले वो मेरा था 
चेहरा उसका असल नहीं है 

बातें वफ़ा की मत करना 
रस्म-ए-वफ़ा आजकल नहीं है

मिलना बिछड़ना दस्तूर है 
कोई ताल्लुक अज़ल नहीं है 

उसकी सोहबत में जाना 
प्यार की शर्त वसल नहीं है.

बहुत मीठी है उसकी बोली
ग़ज़ल सी है पर ग़ज़ल नहीं है 

सब कुछ होना कुछ भी नहीं
खुदा की गर फ़ज़ल नहीं है. 

~ rahul
अज़ल = शाश्वत, वस्ल = मिलन , फ़ज़ल =कृपा 

No comments:

Post a Comment

जरुरत नही है ...

  मुझे अब तेरी जरुरत नहीं है तेरे प्यार की भी ख्वाहिश नहीं है कहानी थी एक जिसके किरदार तुम थे कहानी थी एक  जिसके किरदार हम थे अपना हिस्सा बख...