Sunday, March 7, 2021

देसी प्यार!

 सूरज की किरणों सा हर रोज मिल

मिल कर मोहब्बत का लिबास सिल

फिर रंग घोलूँ
नजरों से तोलूँ
आहिस्ता आहिस्ता, 
आंखों से बोलूं
रंग देना तू फिर मुझे...
यार, रंगीन ऐसा कुछ प्यार कर
F.I.R.  सा सीधा इज़हार कर
सीटी बजाकर, कुछ पास आकर
बेखौफ, उम्दा सरल प्यार कर।

संतरे वाली टॉफी,
या बुढ़िया के बाल।
ठेले की टिक्की, या
सरोजिनी का माल।
जो ठीक समझे,
पेश जज्वात कर
हाँ, जैसे भी करना, बस यार कर
शुद्ध देसी सच्चा तू प्यार कर।

छुप छुप के मत तू हर रोज मिल
कभी घर भी आ, जैसे बिजली का बिल
मैं तुमको देखूँ
क्या क्या न सोचूं
आहिस्ता, आहिस्ता
आंखों से बोलूँ
रंग देना तू फिर मुझे...
यार, रंगीन ऐसा कुछ प्यार कर
F.I.R. सा सीधा इज़हार कर
सीटी बजाकर, कुछ पास आकर
बेखौफ, उम्दा सरल प्यार कर।
ऑटो से ले चल
या चल तू पैदल
बस करना तू मेरी
परवाह...
हाँ, हाँ जैसे भी करना, बस यार कर
शुद्ध देसी सच्चा तू प्यार कर।
               ---Rahul Rajput

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