Saturday, December 7, 2013

गुलाब गुलदस्ते चाँद तारे कुछ भी नहीं हैं

गुलाब गुलदस्ते चाँद तारे कुछ भी नहीं हैं
देने को सिवा दिल के पास कुछ भी नहीं है

प्यार इश्क़ मोहब्बत ख़ास अलफ़ाज़ हैं,
पर दिल बयां करने को ये कुछ भी नहीं है

रैन गुजारी हैं जुगनू ने खुद जल जल कर
वो माने तो इश्क़ वरना ये कुछ भी नहीं है

छुआ न हो उसे, ऐसी कोई रैन नहीं है, 
सच है कि सिवा ख्वाबो के कुछ भी नहीं है 


गौर से झाँक इन आँखों में फिर खुद बता
तेरा अक्ष या सिवा दीदो के कुछ भी नहीं है?


वो नहीं मिलता कही भी, बात क्या है?
बस शब्द हैं, क्या इल्तिजा कुछ भी नहीं है? 


~RR

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