Friday, December 4, 2009

मैं

देख झलक अपनी दर्पण में
मैं आश्चर्यचकित हो उठता हूँ
क्या यही है मेरा सच्चा रूप
जिसे नित्य संवारा करता हूँ
प्रश्नों के दल-दल में फंसा
मैं "मैं" को ढूंडा करता हूँ
"मैं" नही है केवल एक देह
"क्या हूँ मैं?"प्रश्न हमेशा करता हूँ
मैं शक्तिपुंज हूँ,मैं बल हूँ
मैं तेज हूँ , मैं ओज हूँ
मैं अमर हूँ ,मैं अजर हूँ
मैं आनंदित हूँ,मैं असीमित हूँ
क्योंकि, मैं अनंत अनादि
परमानन्द प्रभु का हिस्सा हूँ ........
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