संग पिया के, संग सजन के, होली आई!
गाँव की गलियाँ, रंग में भीगी, होली आई!
माटी की ख़ुशबू महकी, घर-आँगन तक जाने को,
रेल चली फिर दूर नगर से, घर चौपाल सजाने को।
मजदूरों की टोली संग में, होली आई!
संग पिया के, संग सजन के, होली आई!
हाथ खुरदुरे, पाँव फटे हैं, पर मन में है उजियारा,
आँगन छूटा, सपने रूठे, फिर भी दिल ये आवारा।
परिवार जनों को साथ लिए, होली आई!
संग पिया के, संग सजन के, होली आई!
कितने ही परिचित चेहरों को, बच्चे अब पहचाने ना,
अपने ही घर मेहमां बनकर, अपनापन वो जाने ना
फिर भी आँगन पाँव पड़ा तो, होली आई!
संग पिया के, संग सजन के, होली आई!
संग पिया के, संग सजन के, होली आई!
गाँव की गलियाँ, रंग में भीगी, होली आई!
~Rahul Rajput
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