Saturday, March 22, 2025

कभी तो झाँक खिड़की से

 

कभी तो  झाँक खिड़की से तेरा ऊपर ठिकाना है। 

तेरी गलियों में कब से फिर रहा तेरा दिवाना है ॥


दिखा दे इक झलक अपनी तू बस इतना रहम कर दे  । 

दिखा कर मुख मुझे छिप जा जहां खुद को छिपाना है।


मोहब्बत हाट में बिकती न उल्फत खेत में उगती । 

मोहब्बत दिल का सौदा है न ये कोई किराना है।


कहाँ है वो मुझे मालूम नहीं नामो निशां उसका । 

यकीं है हर समय मुझ पर उन आँखों का निशाना है।


नहीं मुमकिन तेरे अंदाजे उल्फत को समझ पाऊँ । 

भला कैसे मैं ये जानू तुझे कैसे रिझाना है ।।


यहाँ बस बीच में उसने गिरा रखा है इक पर्दा। 

वजह हंगामे की सारी ये पर्दे का गिराना है ।


गुलिस्तां प्यार का है ये जिसे कहते हैं हम दुनियाँ ।

 मगर तुम याद ये रखना गुलिस्तां ये विराना है


~Samar Singh 

@copyright 

No comments:

Post a Comment

Socho

  सोचो कि ऊपर  न कोई जन्नत सोचो कि    नीचे न ही कोई दोजख  ऊपर जो देखें   बस देखें आसमां  सोचो की सब ही जियें बस आज में  सोचो    कि दुनिया ऐस...