Friday, March 21, 2025

शिव शंभू मिल जायेगा

 


शिव अनुकम्पा बरस रही है,

संशय मन के धो ले।

हरि के दर्शन पाना चाहे,

अपने भीतर टो ले ॥


हर कण में शिव,

हर क्षण में शिव,

श्वासों में, चित मन में शिव।

मन की आँखें खोल सके जो,

वो ही शिव को पाएगा,

पता नहीं किस रूप में आकर,

 शिव शम्भू मिल जाएगा॥

पता नहीं किस रूप में आकर 

नारायण मिल जाएगा॥ 


कर्मों का फल निश्चित है , जो 

जैसा करता पायेगा 

बोयेगा जो बीज प्रेम के,शिव

 स्वयं ही मिल जाएगा  


कर्मों का फल निश्चित है , जो 

जैसा करता पायेगा 

बोयेगा जो बीज प्रेम के,शिव

 स्वयं ही मिल जाएगा  


तेरी भक्ति में सच्चाई यदि 

खुद हरि ही पार कराएं नदी 

हर दुख तेरा हरने को,

भोले हाथ थमायेगा 

पता नहीं किस रूप में आकर,

शिव शम्भू मिल जाएगा॥

पता नहीं किस रूप में आकर

नारायण मिल जायेंगे 


निष्फल कर्म नही जाते 

सद्कर्म से भाग्य बनते हैं 

जग हेतु दीप जलाए जिसने 

पथ उसके जगमग करते हैं


निष्फल कर्म नही जाते 

सद्कर्म से भाग्य बनते हैं 

जग हेतु दीप जलाए जिसने 

पथ उसके जगमग करते हैं


कोई दीन मिले तो आशा बन,

हर वंचित जन की भाषा बन।

मन को गंगाजल सा कर ले,

तो ही शिव मिल पाएगा॥

पता नहीं किस रूप में आकर,

शिव शम्भू मिल जाएगा॥

पता नहीं किस रूप में आकर

नारायण मिल जाएगा॥ 


ध्यान लगा कर मन की सुन ले 

शिव भीतर ही रहते हैं 

कान लगा के सुन संदेशा 

शिव क्या तुझसे कहते हैं 


श्रद्धा से मन मंदिर भर ले

मोल समझ तेरे भावों का

मरहम तेरी आस्था ही है 

अंतर मन के घावों का 



विश्वास तो रख उस सुन्दर में

जो चाँद खिलाये  अम्बर में,

पत्थर तेरे भाग में होगा,

तो शिवलिंग बन जाएगा॥

पता नहीं किस रूप में आकर,

शिव शम्भू मिल जाएगा॥

पता नहीं किस रूप में आकर 

नारायण मिल जाएगा॥ 



पता नहीं किस रूप में आकर

नारायण मिल जाएगा॥


~राहुल राजपूत 


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