Saturday, March 8, 2025

Holi Geet

 

होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया 

होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया

आजा आज खेलें रंग आजा पिया 

होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया

आजा आज खेलें रंग आजा पिया 


पानी में भिगा के ये क्या किया 

ओ रे पिया 

ओ ओ .... 

होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया

आजा आज खेलें रंग आजा पिया 


नये हैं नज़ारे नए हैं इशारे 

ढोल पे नाचे सारी दुनिया 

प्यार दिखा के सीने से लगा के

रंग दे ना मुझे मेरे रसिया 


नये हैं नज़ारे नए हैं इशारे 

ढोल पे नाचे सारी दुनिया 

प्यार दिखा के सीने से लगा के

रंग दे ना मुझे मेरे रसिया 


भांग पीला के ये क्या किया 

ओ रे पिया 

ओ ओ .... 

होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया

आजा आज खेलें रंग आजा पिया 


ओ मेरे बालम कैसी ये मस्ती

आग लगाए मेरे मन में 

रोके न रुके ये बढ़ती ही जाए 

अब कौन बुझाये फागुन में 


पिचकारी चला के, ये क्या किया

ओ रे पिया 

ओ ओ .... 

होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया

आजा आज खेलें रंग आजा पिया 


चुनरी भी भीगी, भीगा है कंगना,

दिल नाम तेरा दोहराए 

थोड़ा सा छेड़े , थोड़ा सताये,

मन मेरा  बहका  ही जाए 


गुलाल उड़ा के ये क्या किया 

ओ रे पिया 

ओ ओ .... 

होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया

आजा आज खेलें रंग आजा पिया 


सजनी भी झूमें, साजन भी झूमें

मस्ती में खोई हर गलीया

मिल के बहारें, गीत ये गाएं

रंगों में घुल जाए दुनिया


जादू  चला के, ये क्या किया

ओ रे पिया 

ओ ओ .... 

होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया

आजा आज खेलें रंग आजा पिया 


~Rahul Rajput

Tuesday, March 4, 2025

Ghazal

 -------   🌷ग़ज़ल🌷 -------

भले ही वो नहीं टूटे पर उसको तोड़ना अच्छा। 

यहां महबूब की दीवार पर सर फोड़ना अच्छा।। 


न फैलें पांव पूरे तो उन्हें कुछ मोड़कर सो जा। 

है चादर जितनी भी अपनी उसे ही ओढ़ना अच्छा।। 


मिले थे दौड़कर जैसे कभी कान्हा सुदामा से। 

मिलन की हूक लेकर पांव नंगे दौड़ना अच्छा।। 


पिया की सेज सूली पर तो फिर सूली से क्या डरना। 

कि डर कर मौत से पीछे कदम न मोड़ना अच्छा।। 


खड़े हों दूर गर सब  ही मिला यें हाथ फिर कैसे। 

उठा कर हाथ दोनों ही अदब में जोड़ना अच्छा।। 


' समर ' महबूब से मिलने की इक ख्वाइश यहां काफी। 

हजारों ख्वाइशें जो और उनको छोड़ना अच्छा।। 


~Samar Singh

----------------🌷---------------

Sunday, March 2, 2025

ग़ज़ल

    ----------ग़ज़ल--------

न लगे ठोकर कहीं आसान  क्या। 

पर संभल जाये न वो इंसान क्या।


हो अगर वो साथ और दिल में जनून। 

ये बबंडर,   आंधियां,  तूफान   क्या।। 


वक्त   पर    तामील   न  होवे    अगर । 

फिर किसी का भी हो वो फरमान क्या।।


जो  गुरु  की  बात  को   न सुन सके। 

और सब जग की सुने वो कान क्या।। 


दान  देकर  हो  गया अभिमान  गर। 

चाहे कितना भी दिया पर दान क्या।। 


वो  भला  कैसे  रहे अहसान  मंद। 

जो न जाने चीज है अहसान क्या।। 


जान  ली  तूने  सभी दुनियां  मगर। 

असलियत में जो यहां है जान क्या।।


तेरे   सीने  में  मुहब्बत    है     अगर । 

फिर ' समर ' कोई यहां अन्जान क्या।। 

~Samar Singh  ©

                 2122  2122  212

Saturday, March 1, 2025

राधा विरह गीत

 

(मुखड़ा)

कान्हा बिन सूना मोरा मन,

कैसे कटे ये विरह की रैन।


(अंतरा 1)

यमुना किनारे तेरी यादें,

लहर लहर में तेरी बातें ।

बंसी की धुन कौन सुनाये,

इस दिल को कैसे आये चैन 


कान्हा बिन सूना मोरा मन,

कैसे कटे ये विरह की रैन।


(अंतरा 2)

वृंदावन की गलियाँ सूनी,

फूलों में भी खुशबू नहीं।

तेरे बिना सब कुछ है फीका,

आ लौट आ, अ मोरे श्याम।


कान्हा बिन सूना मोरा मन,

कैसे कटे ये विरह की रैन।



(अंतरा 3)

सखियों को ना समझा पाऊँ 

कैसे मैं ये दर्द सहूँ।

मन का दीपक बुझा पड़ा है 

मेरे बचे बस दो जलते नैन।


कान्हा बिन सूना मोरा मन,

कैसे कटे ये विरह की रैन।


(अंतरा 4)

तेरे बिना  है चाँद अधूरा,

थके पथिक का कौन सहारा 

पायल की रुनझुन रोती है,

मैं दिवानी राह तकूँ दिन रैन । 


कान्हा बिन सूना मोरा मन,

कैसे कटे ये विरह की रैन।


~राहुल राजपूत 

Holi Geet

  होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया  होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया आजा आज खेलें रंग आजा पिया  होली है रंगीले, मेरा रंग दे जिया आजा आज खेले...