कुंभ आए, शिव हमारे ,
गंगा यमुना चरण पखारे।
शिव के भीतर सतत बहती
चेतना की जो नदी है
वो ही अनुपम सरस्वती है .....
कुम्भ में गूंजे जय जय कार
शिव ही जीवन, शिव ही सार...
जो भी मन से संगम आये
वैकुण्ठ की वो राह पा ले
नमामि गंगे जय हो भोले....
करें गंगा की लहरें पुकार,
शिव ही तट है, शिव ही धार।
आस्था का यह समंदर
मन में श्रद्धा भक्ति घोले
नमामि गंगे जय हो भोले...
कुम्भ में गूंजे जय जय कार
शिव ही शून्य, शिव आकार
महाकुम्भ में जो भी पधारे
काल से भय मुक्त हो ले
नमामि गंगे जय हो भोले...
कुम्भ में गूंजे जय जय कार
शिव ही सत्य शिव ही ज्ञान
डमरू की धुन गूंजे नभ में,
शिव मंत्र नर नार बोले
नमामि गंगे जय हो भोले
कुम्भ में गूंजे जय जय कार
शिव ही सम्बल शिव आधार
शिव ही हिम है, शिव अंगार
कुंभ में आए, शिव हमारे ,
गंगा यमुना चरण पखारे।
शिव के भीतर सतत बहती
चेतना की जो नदी है
वो ही अनुपम सरस्वती है .....
कुम्भ में गूंजे जय जय कार
शिव ही जीवन, शिव ही सार...
~Rahul Rajput (c)
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