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अब कै माधव मोहे उबारो
पतितनि में विख्यात पतित मैं
पावन नाम तिहारो....
अब कै माधव मोहे उबारो |
भटकी नैया, न मिले किनारा
दासन को दे कौन सहारा
विनती अब स्वीकारो....
अब कै माधव मोहे उबारो |
मोह जाल में मन भरमाया
कंटक पथ, छाया अँधियारा
दीनन को उद्धारो....
अब कै माधव मोहे उबारो |
झूठी माया मन बहकाए,
चंचल चित ये ठौर न पाए
मन से शूल निकारो....
अब कै माधव मोहे उबारो |
अंत समय जब सांस रुकेगी,
नजर तुम्हारी राह तकेगी,
संग न कोई हमारो ....
अब कै माधव मोहे उबारो |
~राहुल
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