“हर हर महादेव! बम बम भोले!
शिव का तांडव, धरती डोले!”
जब जब पाप बढ़े धरती पर,
शिव ने तांडव किया प्रखर!
त्रिशूल उठा हुंकार भरी,
दुर्जन कांपे भय से थर थर
बोलो बम बम ,बम बम भोले,
शिव का तांडव नभ में डोले!
काल भी काँपे, जग थर्राए,
शिव जब जब हुंकार लगाए!
जटा में गंगा, गले में नाग,
डमरू बजे तो धधके आग!
भस्म रमाए, ध्यान लगाए
संहार करें, पर धर्म बचाए !
बोलो बम बम, बम बम भोले,
शिव का तांडव नभ में डोले!
काल भी काँपे, जग थर्राए,
शिव जब जब हुंकार लगाए!
अंतरमन जो ध्यान लगावे
शिव ही संरक्षक बन जावे
चाँद सितारे सूरज काँपे
शिव का रुद्र रूप जब जागे!
त्रिनेत्र जले तो अग्नि बरसे,
रूद्र उठे कैलाश शिखर से!
हाथ एक त्रिशूल संभाले
एक हाथ में डमरू ठाले
डम डम गूँजे दसो दिशाएं
जल थल नभ हिल हिल जाए!
त्रिशूल उठे तो काल भी काँपे,
सागर थम कर शिव शिव जापे
बोलो बम बम बम बम भोले,
शिव का तांडव नभ में डोले!
भस्म लेप कर नृत्य रचाए,
दुष्टों को रणभूमि सुलाए!
मुण्डन माला, गले में शोभे,
जब जब धर्म की हानि होवे
काल स्वयं चरणों में हो ले ,
यम भी डर से नयन न खोले!
बोलो बम बम बम बम भोले,
शिव का तांडव कण कण डोले!
~Rahul Rajput ©
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