Tuesday, February 25, 2025

कान्हा… मोहे रंग दो ना…


कान्हा… मोहे रंग दो ना…

रंग दो ना… 


ओ नंद के लाल, भीगी चुनरिया मोरी, लाल लाल

सजना पे नैन धर 

लज्जा से मोरा मन, लाल लाल


छेड़ो ना ऐसे, नैन मिला के,

मोहे रंग दो ना, लाल लाल


(अंतरा 1)

तन मोरा गीला , मन सूखा कोरा,

बरसाओ गुलाल…

बैयाँ पकड़ के, हँस के संवरिया,

मोहे रंग दो ना, लाल लाल


(अंतरा 2)

कान्हा की बंसी, छेड़त रसिया,

रंगों में भीग जाऊँ मैं…

गालों पे घूँघट, मन में उमंग,

तुझसे कैसे छुपाऊँ मैं…


फागुनी बयार, छू गई मोहे, लाल लाल

रसिया की छेड़ में, 

भीग गई  चुनरिया, लाल लाल


(अंतरा 3)

रंग बरसाए, बदरा भी झूमे,

बंसी की धुन में गाऊं मैं 

अंखियाँ मिलाऊँ, अंखियाँ चुराऊँ 

श्याम संग रंग जाऊँ मैं…


घूंघट जो हटे, पग ठिठके मोरे, लाल लाल

मुरली की तान पे, 

थम गए कजरारे, लाल लाल


---------------------------------

ओ नंद के लाल, भीगी चुनरिया मोरी, लाल लाल

चुपके से  नैन भर,

लज्जा से मोरा मन, लाल लाल


कान्हा… मोहे रंग दो ना…

रंग दो ना… 


~Rahul Rajput ©

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