Saturday, January 8, 2022

मुक्तक

 

लम्हा लम्हा जीने को
दिल तक हल्का होने को
पंछी सा उड़ जाने को
फिर से तेरा बन जाने को
क्या क्या न मैं कर जाऊँ
तेरी हाँ में जी जाऊँ
तेरी ना में मिट जाऊँ।

~राहुल राजपूत

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