(1)
बंदरों की संख्या
काफी बढ़ गयी है
मेरी सोसाइटी में...
हम इंसानो की तरह से ही!
इस समस्या से निबटने के लिए
एक लंगूर की व्यवस्था कर दी गयी है।
आज्ञा से- सोसाइटी प्रबंधन
मेरा सवाल- इस बात की क्या गारंटी
कि लंगूर बंदरो से सांठ गांठ करके
बदमाशी नही करेगा?
सोसाइटी प्रबंधन-
- वह लंगूर है, इंसान नही
- उसके गले में रस्सी बांध कर रखी जायेगी।
मान लो कि लंगूर
इंसान जितना गिर भी गया
तो भी, मौत का साया
उसे बदमाशी नही करने देगी।
(2)
कुछ इनोवेटिव आईडिया नही हो सकता है?
जैसे? सोसाइटी ने पूछा
बचपन की एक बात बताता हूँ
एक बंदर को पकड़ कर
उसका मुंह काला कर दिया गया था
जैसे आजकल मीडिया करती है
Randomly, किसी का भी
बिना किसी गुनाह के लिए...
ये लड़कपन की शरारत थी
उसके एक लंबी, नकली पूंछ
Tape से चिपका दी थी
और फिर उसे छोड़ दिया
एक बंदर को लंगूर बना दिया
यूं हमने...
सोसाइटी- ये अमानवीय है।
मैं- और गले में रस्सी बांधना?
सोसाइटी- वो तो अब पालतू है।
(3)
खैर, ये इनोवेटिव आईडिया
कुछ समय के बाद fail हो गया
काले मुंह के बंदर को देख
सब बंदर भाग जाते थे
क्योंकि उनको लगता कि
वो लंगूर है।
लेकिन था तो बेचारा बंदर ही
अपनी जमात से अलग कैसे रहता।
वो बंदरों के झुंड में अपने ढूंढता रहा
और बंदरो के झुंड ने उसे बंदर मानने से
साफ इंकार कर दिया...
जैसे कोई लड़का या लड़की
अपने बदन पर tatoo गुदवा ले
और उसका समाज स्वीकृति न दे।
पहनावे, भाषा, धर्म, जाति के आधार पर
जब बुद्धि-पालक इंसानी झुंड
किसी को अपने झुंड से बाहर कर देता है
तो बंदर की क्या ही बिसात!
काले मुंह वाला बंदर उदास था
अब वह अकेला था
और बंदर झुंड की शरारत, ज्यों की त्यों।
(4)
एक दिन काले मुंह वाले बंदर ने
गॉंव छोड़ दिया
और शामिल हो गया
लंगूरों के झुंड में
उसमें लंगूरों जितना हुनर न था
फिर भी लंगूरों ने उसे दोस्त बना लिया।
सम्पूर्ण लंगूर समाज ने
उसके बंदर से लंगूर बनने के जज्वात को
ससम्मान सलामी दी।
बंदर अपने से बस यही कह सका-
कि मुंह काला होना
उसकी बदकिस्मत थी
या खुशकिस्मत?
~राहुल राजपूत
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