जहां से मैं आया हूँ,
वहां इश्क की गलियां तंग हैं
गाड़ी की गुंजाइश नही,
पैदल चल सको तो चलो।
हर दफा इश्क़ में पहले भी,
मैं लुट चुका हूँ
सोच लो, खोने को कुछ नही,
चल सको तो चलो।
ठोकरें खाई बहुत,
संभाला खुद को गिरा नही
इश्क़ की बैशाखियां ले
तुम भी चल सको तो चलो।
पता नही इश्क़ किस्मत में
मेरी है या नहीं
खैर, एक बार फिर से
तुम मुझे लूट सको तो चलो।
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