कैसे कैसे लोग हैं देखे, हमने दुनियादारी में |
कुछ ने जूते चाटे जी भर, कुछ जीये खुद्दारी में ||
सीधा सीधा कहने वाले हम केवल मासूम रहे |
ऊंची कुर्सी पर बैठों को गुण दीखे मक्कारी में||
कितना दौड़ो कितना भागो कस्तूरी का अंत कहाँ?
छोड़ो चिंता कल की, देखो फूल खिले फुलवारी में ||
सांस का आना जाना जैसे क्षण क्षण जीना सरल मगर |
पल का शैशव दफना बैठे, हम कल की तैयारी में ||
जीवन है तो दुःख भी होगा, क्यूँ इतना संताप करें |
हमने दुःख भी खुश हो भोगे सुख दुःख की अय्यारी में ||
खाने वाले अपच ग्रसित हैं भूखे व्याकुल खाने को |
अपनी अपनी काट रहे सब अलग अलग लाचारी में ||
पैसा पावर दोनों हों तो, कोर्ट कचहरी मंदिर है |
मजलूमों को गाली मिलती, बड़ी अकड़ अधिकारी में ||
न्यायालय का निर्णय आया जुगनू की गवाही से |
इलज़ाम में अँधा करने के बंद सूरज चार दीवारी में ||
होता मुश्किल उत्तर पाना मीठी जीभा वालों से |
तथ्य छोड़ सब बातें करते बातों की तह-दारी में ||
पढ़ने लिखने वालों को अब कौन भला आश्वस्त करे |
जब रील बनाने वाले घूमे हो कर मस्त फरारी में ||
साँसों का आना जाना है जीवन की ईकाई मगर |
असली जीना हमने जाना जीवन की फनकारी में ||
~राहुल
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