Friday, September 20, 2024

मैं तुम्हारा नाम दिल में…

 

मैं तुम्हारा नाम दिल में, रोज जपता ही गया
किन्तु अधरों पर, अकिंचन, नाम ला पाया नहीं 

श्रृंगार के अवयव सारे
तुम मेँ प्रिये! मैंने देखे
आभा मण्डित नख-सिखाएं 
दो नयन जलधि सरीखे 
किन्तु लहरों में मैं नैय्या खुद चला पाया नहीं 
मैं तुम्हारा नाम दिल में, रोज जपता ही गया
किन्तु अधरों पर अकिंचन, नाम ला पाया नहीं 

फूल कलियाँ और तितली
जुगनुओं के खेल देखे
और उपवन में अनेको 
खग, गुलों के मेल देखे
किन्तु एकतरफ़ा प्रेम मेरा काम ला पाया नहीं 
मैं तुम्हारा नाम दिल में, रोज जपता ही गया
किन्तु अधरों पर अकिंचन, नाम ला पाया नहीं 

प्रेम के प्रतिमान देखे 
प्रीत के अभिमान देखे
यार के ही हाथों उठते 
वस्ल के दो ज़ाम देखे
किन्तु कम्पन में सिमट कर, दिल की कह पाया नहीं 
मैं तुम्हारा नाम दिल में, रोज जपता ही गया
किन्तु अधरों पर अकिंचन, नाम ला पाया नहीं 

द्वार पर उसके खड़े थे
भाग्य ने सब रस्ते मोड़े
खुद को नित लौ पर उडेला 
सविनत नत कर जोड़े 
खुद को दीये संग पतंगे-सा जला पाया नहीं
मैं तुम्हारा नाम दिल में, रोज जपता ही गया
किन्तु अधरों पर अकिंचन, नाम ला पाया नहीं
मैं अकेला मन ही मन में, खूब रटता ही गया
किन्तु तेंतीस फ़ीसदी भी परिणाम ला पाया नहीं 

- राहुल 
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