छिपा हुआ था जो भी अंदर
अक्षर अक्षर सुना चुके हो
तुम्हारा चेहरा बता रहा है
इश्क़-दरिया नहा चुके हो
अगर ख़ुशी का चेहरा होता
हू-ब-हू वो तुम्हारे होता
झलक रहा है निगाहों से
अनमोल कुछ पा चुके हो
आब ओ हवा बदल चुकी है
मन में खुशबू बिखर रही है
तुम्हारा चलना बता रहा है
अपना इरादा जता चुके हो
छिपाओ इत्र छिपता कहाँ है
हाल तेरा मुकम्मल बयां है
कौन है वो जिसकी हाँ में
अपनी हाँ तुम मिला चुके हो
~राहुल
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