सुख का सूखा
तेरे जाने से
जी भर रस है
तेरे आने से
डोर को मेरी थाम कर
चलना जरा संभाल कर
खुशियों के संग रंग भी होंगे
पल तो कुछ बेरंग भी होंगे
है होती ही ऐसी डगर
नीरस कभी, फिर दोपहर
जीलेंगे हम हँस कर मगर
हाँ, तू मेरा है हमसफर।
वो मंजर फीका
तू ना जिसमे
किस्मत बदले
तेरे होने से
राह एक तू थाम कर
चल मस्त हो बेफिकर
साकार सारे ख्वाब होंगे
घर खुशियों के आबाद होंगे
होगी खुशनुमा सी हर सहर
पल पल मखमली हर पहर
तू गीत मैं उसकी बहर
हाँ, तू मेरा है हमसफर!
~राहुल राजपूत
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