Saturday, May 15, 2021

Corona Pandemic

 1 May 2021

हिंदी का एक शब्द है, परजीवी। इसका अर्थ है दूसरे का खून पीकर स्वयं को जिंदा रखना। परजीवी होना प्रकृति हिस्सा है, जैसे जूँ। लेकिन इंसान परजीवी बन जाये, यह मानव से दानव बनने की यात्रा है। लेकिन इससे भी आगे की यात्रा है प्रच्छन्न परजीवी, जो दानव-सा होते हुए भी आपको देवता लगेगा। लेकिन चुनैतियों के समय सच्चाई छिपाये नही छिपती। आज वो ही समय जो हर एक व्यक्ति के नैतिक मूल्यों का सही आकलन देगा।

इसी मूल्यांकन में देखने को मिलेगा कि कुछ लोग समय का फायदा उठा रहे हैं, कालाबाजारी जो कर सकता है, कर रहा है। घंटा फर्क नही पड़ता। लेकिन इसे कालाबाजारी कहना भी सही नही, बाजार के अपने नियम हैं, सौदा है, परिस्थितियां हैं, ग्राहक है और अवसर है-sky is the limit-वाला। वास्तव में इन परिस्थितियों को पैदा कर देना ही कालाबाजारी है। जिम्मेदारी किसकी है? समाज के रूप में इतने परिष्कृत नागरिक हम कब पैदा कर पाए जो नैतिकता की कसौटी पर खरे उतरें। यदि ऐसा होता, तो यह समाज...खैर ये आदर्शवाद कभी यथार्थ नही हो सकता। लेकिन फिर भी बहुत कुछ हो सकता था, मृत्यु के तांडव से बचा जा सकता था। केवल चाहिए थी - political will power।
लेकिन political will power की कमी तो बिल्कुल भी नही है... supreme leader की will power ही है जो स्वयं अपनी पीठ पीटती है और कुम्भ जैसे महापर्व को होने देती है... मेरे देशवासियों, कुम्भ के महायज्ञ में हिस्सा लो और जीवन आहुति दो। अगर यहां मोक्ष न मिले तो दूसरा अवसर भी दिया जाएगा- लोकतंत्र का महापर्व, चुनाव।

एक था मरकज, एक था कुम्भ
एक निराधम, एक विशुद्ध।

एक आक्रांता, एक सनातन
एक जलालत, एक तथागत।

एक स्वार्थी, एक उदार
एक महामारी, एक उपचार।

वाह मेरे ओ मीडिया-कार!
Democracy के आधार।

इतिहास गवाह है कि सत्ता के बिना समाज की कल्पना असंभव है, सत्ता ही समाज की priority है। खून से सने इतिहास के पन्ने इसी सत्ता परिवर्तन के द्योतक हैं। ये तो लोकतंत्र है साहब, अब तक का सबसे उम्दा अविष्कार, जो खून की एक बूंद पिये सत्ता बदल देता है।
साहब और कर भी क्या सकते थे, वो तो वैसे ही चल रहे थे जैसे चलना चाहिए। प्रकृति ये महामारी ले आयी, तो किया भी क्या जा सकता है।
एक डॉक्टर ने suicide कर लिया, डिप्रेशन में आके। लोग मर रहे हैं। कल मेरा , तुम्हारा किसी का भी नंबर आ सकता है। स्थिति जो TV news में दिख रही, उससे भी भयावह है। कोरोना गांव तक में पैर पसार चुका है। मेरे गाँव से ऑलमोस्ट daily दुःखद खबरें आ रही हैं।
याद रखना, मेरे और तुम्हारे जीवन की औकात लगभग शून्य से बढ़ कर कुछ नही। इसलिए, बेहतर है कि एक दूसरे का साथ दे, खुद का बचाव करें। 
कल रात 8 बजे यदि supreme leader देश को संबोधित करें और 3 weeks का lockdown घोषित कर दे तो कोई आश्चर्य नही है। बहुत कुछ राख करने के बाद पानी डालने की मजबूरी हमे पता है।

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