एक था मरकज, एक था कुम्भ
एक निराधम, एक विशुद्ध।
एक आक्रांता, एक सनातन
एक जलालत, एक तथागत।
एक स्वार्थी, एक उदार
एक महामारी, एक उपचार।
वाह मेरे ओ मीडिया-कार!
Democracy के आधार।
संग पिया के, संग सजन के, होली आई! गाँव की गलियाँ, रंग में भीगी, होली आई! माटी की ख़ुशबू महकी, घर-आँगन तक जाने को, रेल चली फिर दूर नगर स...
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