जिंदगी के दो राहों पर इंसान बहुत मिल जायेंगे
पर फरेबी के मुखौटों से कब भला बच पाओगे
कहने को है खुशनुमा अहले जगत में सादगी
क्या फिसलते मन को काबू में रख पाओगे
माना तेरा प्यार है भरे पैमाने सा नशीला, पर
बात होगी गर ताउम्र छलकने से बचा पाओगे
कर मुहब्बत शौक से पर जज्बा इतना रख
ना मिला वो तो मुहब्बत-ए-पीर पी पाओगे
पाने की चाह घनी है तो लुटाने की भी ऊँची रख
ये जिंदगी बाज़ार है ना कोई बिन तराजू पाओगे
पर फरेबी के मुखौटों से कब भला बच पाओगे
कहने को है खुशनुमा अहले जगत में सादगी
क्या फिसलते मन को काबू में रख पाओगे
माना तेरा प्यार है भरे पैमाने सा नशीला, पर
बात होगी गर ताउम्र छलकने से बचा पाओगे
कर मुहब्बत शौक से पर जज्बा इतना रख
ना मिला वो तो मुहब्बत-ए-पीर पी पाओगे
पाने की चाह घनी है तो लुटाने की भी ऊँची रख
ये जिंदगी बाज़ार है ना कोई बिन तराजू पाओगे
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