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होली आई
संग पिया के, संग सजन के, होली आई! गाँव की गलियाँ, रंग में भीगी, होली आई! माटी की ख़ुशबू महकी, घर-आँगन तक जाने को, रेल चली फिर दूर नगर स...
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ऊपर शिव है नीचे शिव है तेरे मेरे भीतर शिव है आदि शिव है अंत भी शिव है हर संगीत की झन झन शिव है 【ऊँ नम: शम्भवाय, च शंकराय मयस्कराय च नम: ...
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जब हर जूनून की वजह तू, क्यूँ न फिर हाथों की लकीरों में तेरा नाम लिख दूं... हर जिक्र में है शामिल तू, क्यूँ न फिर वक़्त के हर पन्न...
Really very good.the 'Bhaav' or say essence of the kavita is very nice.the use of words, their arrangement and order......like a good Hindi writer.I liked it.
ReplyDelete@akash- thanx a lot for warm appreciation
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