आओ दिल दुखाने को ही सही
आओ! आकर इंकार करो, ये भी सही
देखूं
वो निगाहें जिनको
क्या क्या न कहा
जंगल-सी वे घनी
जिनमे पल पल भटका
आओ आँखों में डुबाने को ही सही
आओ! आकर इंकार करो, ये भी सही
सुनो
जब से गया है तू
क्या ही मैं बताऊँ
सुखन या गीत कोई
बिन तेरे कैसे गाऊं
आओ फिर से यूं रुलाने को ही सही
आओ! आकर इंकार करो, ये भी सही
देखो
कौन है वो जिसका
ख्वाब दिन रात रहा
आँखों में तिरता सा
हु-ब-हु तुझ ही सा
आओ मेरा भ्रम मिटाने को ही सही
आओ, आकर सब झूट कहो, ये भी सही
आओ दिल दुखाने को ही सही
आओ! आकर इंकार करो, ये भी सही
~राहुल
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