जो भी मिला वो ही खुदा का नेक इरादा है
उसकी नेमत माने तो, ये हद से ज्यादा है
तू अकेला मैं अकेला, सब आधा आधा है
क्या ही राजा, क्या प्रजा, क्या ही प्यादा है ?
~राहुल
सम्भालो हुस्न को अपने कहीं ज्यादा न हो जाए भला चंगा दिल-ए-नादां न यों आवारा हो जाए नहीं मिला अगर मुझको तब भी कोई गिला नहीं चलो किस्मत अजम...
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