Friday, February 17, 2023

तुम्हारा चेहरा बता रहा है

 

छिपा हुआ था जो भी अंदर 
अक्षर अक्षर सुना चुके हो
तुम्हारा चेहरा बता रहा है 
इश्क़-दरिया नहा चुके हो 

अगर ख़ुशी का चेहरा होता 
हू-ब-हू वो तुम्हारे होता 
झलक रहा है निगाहों से 
अनमोल कुछ पा चुके हो 

आब ओ हवा बदल चुकी है
मन में खुशबू बिखर रही है 
तुम्हारा चलना बता रहा है 
अपना इरादा जता चुके हो 

छिपाओ इत्र छिपता कहाँ है 
हाल तेरा मुकम्मल बयां है 
कौन है वो जिसकी हाँ में
अपनी हाँ तुम मिला चुके हो 

~राहुल 

मुक्तक

 

बेबजह तेरे ऐब को बेनकाब करता रहा 
हाय! घाटे का हिसाब बेहिसाब करता रहा 
तेरा मिलना ही खुदा की इनायत थी 
बेसबब ही काफिराना जज्बात करता रहा!

~राहुल 

सम्भालो हुस्न को अपने...

  सम्भालो हुस्न को अपने कहीं ज्यादा न हो जाए भला चंगा दिल-ए-नादां न यों आवारा हो जाए  नहीं मिला अगर मुझको तब भी कोई गिला नहीं चलो किस्मत अजम...