1.
पहले प्रकृति आयी,
फिर इंसान आया
इंसान ने आपदा देखी
प्रकृति का प्रकोप देखा
उर का भय देखा
फिर भगवान देखा।
2.
भगवान ने भय मारा
इंसान का 'मैं' उभारा
फिर 'मैं' से ज्ञान जन्मा
इंसान को वर्गों में बांटा
कोई बना ईश प्यार
कोई रहा दुर्बल बेचारा
3.
उन्माद-सा जब चढ़ गया
तिलक टोपी-सा गड़ गया
प्रकृति का कोई भय नही
किन्तु, भय फैलाया स्वयं
भगवान के भक्तों ने ही
भगवान का ही भय दिखाकर।
4.
भय से जन्मे देवता को
भगवान कहना!
भय भागने को उसी की
शरण गहना!
पागलों का फिर और क्या कहना?
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