Tuesday, March 23, 2021

ज जवान... भय भगवान...

 1.

पहले प्रकृति आयी, 
फिर इंसान आया
इंसान ने आपदा देखी
प्रकृति का प्रकोप देखा
उर का भय देखा
फिर भगवान देखा।

2.
भगवान ने भय मारा
इंसान का 'मैं' उभारा
फिर 'मैं' से ज्ञान जन्मा
इंसान को वर्गों में बांटा
कोई बना ईश प्यार
कोई रहा दुर्बल बेचारा

3.
उन्माद-सा जब चढ़ गया
तिलक टोपी-सा गड़ गया
प्रकृति का कोई भय नही
किन्तु, भय फैलाया स्वयं
भगवान के भक्तों ने ही
भगवान का ही भय दिखाकर।

4.
भय से जन्मे देवता को
भगवान कहना!
भय भागने को उसी की
शरण गहना!
पागलों का फिर और क्या कहना?

Saturday, March 20, 2021

तत्काल

वर्तमान का शैशव है तत्काल
जो तत्काल को जी सका
वो भाग्यशाली है।

मैं इस तत्काल का थोड़ा हिस्सा
तब जी पाता हूँ
जब नीर के साथ होता हूँ।
(नीर मेरा 2 साल का बेटा)
या, यूं कहूँ कि 
उसके तत्काल का 
मैं हिस्सा बन जाता हूँ।

उसे सिर्फ तत्काल का अहसास है
भूत और भविष्य तो केवल virtual reality.

Friday, March 19, 2021

Ripped जीन्स !

Sir अब CM बन गए हैं। मीटिंग बुलाई है, विकास कैसे करना है? लोगों तक कैसे पहुँचना है? Sir थोड़ी दुविधा में हैं। हाई कमान ने ऊंची कुर्सी पर तो बिठा दिया है, लेकिन सोच में हैं कि चहुदिश विकास कैसे करें। sir बहुत ही सज्जन व्यक्ति हैं। एक दम भोले के भक्त से, टीका तिलक वाले। state भी एक तल में नही है कि साहब यहां बैठे बैठे हम जैसों को लतियाये और विकास लुढकते लुढकते सुदूर कोने में बेरोजगार पड़े या गरीबी की लाइन में खड़े आखिरी पशु (पशु से यहां अर्थ गाय नही है) तक खुद ब खुद पहुँच जाए।

कुछ क्रांतिकारी विचार चाहिए। इसलिए मीटिंग बुलाई है। अब फ़ोन रखते हैं।
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ये छोटे साहब बड़े साहब के मुख्य सलाहकार हैं और हमारे मन के मित्र। 
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🐧क्या मियां, तुमने तो बबाल idea दे दिया साहब को। आग लगा दी है । लेकिन ये अच्छी बात नही की तुम जैसे लोग भी नारी विरोधी हो जाओ, 2 कोड़ी की नौकरी के लिए।
🐦अरे हमने तो बस ये idea दिया था कि sir, ये दुनिया बड़ी ही जालिम है। नाजायज विकास को कोई अपनी चौखट पर फटकने भी न देगा। कोई ऐसा अपशगुन क्यों ले। नाजायज तो दलित से भी नीच होता है। बिन बाप का विकास कुछ ऐसा ही होगा, जैसे सड़क के आवारा कुत्ते। इसलिए, पहले विकास नियोजन करिये। कुछ ऐसा करिये की लोग आपको जाने। आपके वीर्य को पहचाने और जब लोगों को विश्वास हो जाये कि विकास आपके ही श्री मुख से होगा, तो करते रहना विकास। जीभ हिलाने का परिश्रम उच्च कोटि का पुरुषार्थ है। 
🐧वाह। क्या idea है।
🐦अरे, sir बहुत खुश हुए idea सुन के। उन्होंने कहा कि वह उच्च कोटि का पुरुषार्थ करने से पीछे बिल्कुल न हटेंगें। फिर उन्होंने कहा कि कुछ suggest करें। हमने कहा - sir, कुछ सनसनी statement दीजिये मीडिया में। तभी लोग आपको पहचानेंगे। वरना आप north east की तरह हो भी, नही भी वाली केटेगरी में रह जाओगे। और आपके पास तो समय भी कम है। कम समय में ज्यादा पुरुषार्थ करने के लिए, कुछ अतिक्रन्तिकारी तो करना होगा।
🐧तो आपने क्या क्रांतिकारी सुझाब दिया?
🐦हमने कहा, sir इस बार patriarchy को challenge कर दीजिये। जैसे कि मीडिया में आकर कहें कि parents को अपने लड़कों को संस्कार देना चाहिए। गाली गलोच न करें। धूम्रपान न करें। kichten में माता जी का हाथ बटाए। और बीच बीच में सभ्यता संस्कृति का तड़का मारते हुए, मर्यादा पुरूषोत्तम राम को पेश करें। उत्तर प्रदेश से पहले, उत्तराखंड में रामराज्य, gaurenteed!
और ....
इससे पहले की हम कुछ और बोल पाते, हमको दुत्कार दिया गया। अब तक प्रमोशन के लिए हमारी दावेदारी जितना प्रबल हमे feel हो रही थी, अगले ही क्षण हमने अपने आप को गरीबी की लाइन में खड़े आखिरी पशु के साथ पाया। इस बार यह पशु गाय ही थी। तब हमको समझ आया कि गाय और बैल एक समान है, जैसे कि विकास और प्रगति।
🐧😌 hnmmm
🐦और अब पुरुषार्थ आपके सामने है। साहब ने, विकास को काँधे पर बिठाकर प्रगति की jeans फाड़ दी।
~RR
Disclaimer: व्यंग्य की समझ वाले ही पढें।

Sunday, March 7, 2021

देसी प्यार!

 सूरज की किरणों सा हर रोज मिल

मिल कर मोहब्बत का लिबास सिल

फिर रंग घोलूँ
नजरों से तोलूँ
आहिस्ता आहिस्ता, 
आंखों से बोलूं
रंग देना तू फिर मुझे...
यार, रंगीन ऐसा कुछ प्यार कर
F.I.R.  सा सीधा इज़हार कर
सीटी बजाकर, कुछ पास आकर
बेखौफ, उम्दा सरल प्यार कर।

संतरे वाली टॉफी,
या बुढ़िया के बाल।
ठेले की टिक्की, या
सरोजिनी का माल।
जो ठीक समझे,
पेश जज्वात कर
हाँ, जैसे भी करना, बस यार कर
शुद्ध देसी सच्चा तू प्यार कर।

छुप छुप के मत तू हर रोज मिल
कभी घर भी आ, जैसे बिजली का बिल
मैं तुमको देखूँ
क्या क्या न सोचूं
आहिस्ता, आहिस्ता
आंखों से बोलूँ
रंग देना तू फिर मुझे...
यार, रंगीन ऐसा कुछ प्यार कर
F.I.R. सा सीधा इज़हार कर
सीटी बजाकर, कुछ पास आकर
बेखौफ, उम्दा सरल प्यार कर।
ऑटो से ले चल
या चल तू पैदल
बस करना तू मेरी
परवाह...
हाँ, हाँ जैसे भी करना, बस यार कर
शुद्ध देसी सच्चा तू प्यार कर।
               ---Rahul Rajput

Bank Account

 Neer has been insisting us to open his bank account since couple of months. So, Neha visited Axis bank, which is located within my society ...