Saturday, September 7, 2019

चाँद के द्वार पर

रात मैं बैठा महि पर चाँदनी की छाँव,
देखने को गगन में चाँद का स्वभाव|
उद्दिग्न मन या कि भावुक? वो ही जाने,
किन्तु नयनों में था उसके एक अचरज भाव!


मैंने पूछा, रजनी-राजा बात क्या है?
मैं यहां और तू वहाँ, फिर साथ क्या है?
आ रहा मनु-पुत्र सपनों को फलित करने,
बोल तो स्वागत में उसके सौगात क्या है?


माना सदियों से रहा तू देखता नर को,
चांदनी में बैठ, गढ़ते सपनो के घर को,
तूने कितनी बार बोला, है मनुज पागल,
ख्वाबों में ही छू सकेगा नित तेरे दर को?


किन्तु वह तो आज चढ़कर सपनों की सीढ़ी,
आ गया तेरे ही घर तक लांघ सब दूरी,
करो स्वागत मनुज का हे निशा-स्वामी!
सुनो तुम भी मनुज की यह विजय भेरी।
                             
                              ....राहुल राजपूत

Chandrayan Mission-2

Sunday, September 1, 2019

समय

जमाना तो पुराना ही अच्छा था!
ऐसा अक्सर सुनते हैं हम।
हम,नयी पीड़ी के पल्लव, पुष्प, कुसुम
पुरानी पीड़ी के पुराने लोगों से।

पुराने लोग शायद यह भूल जाते हैं
कि वो समय भी असल में उनका नया था,
जब वो नये थे,
जिसे वो पुराने हो कर दोहराते हैं-
जमाना तो पुराना ही अच्छा था।

और इसलिये वो यह भी नही जानते 
कि आज के नये भी असल में,
अपने भविश्य का पुराना जी रहे हैं।
तभी तो आज के नये पुराने होकर कह सकेंगे-
जमाना तो पुराना ही अच्छा था।

यह तो बस अपनी अपनी इच्छा है,
कि कौन किस नये को पसंद करता है?
आज का नया या भूत का नया?

                 ............राहुल राजपूत

शौक और सिगरेट

एक नबाब साब को,
जब एक जेंटलमैन ने,
नोटों की आंच में चाय पकाते देखा,
तो वह अपने आप को रोक ना पाया।
और आश्चर्य से बोला-
आपकी तो सही नवाबी है!
पैसे ही फूंक रहे हो!

नवाब साब ने जेंटलमैन की ओर देखा-
एक नवयुवक, 
तंदरुस्त काया,
अच्छे कपड़े,
और दो उंगलियों में फंसी,
एक सुलगती सिगरेट,
और बोले- शौक बड़ी चीज होती है।
और इसलिय तो तुम भी,
अपनी आत्मा फूंक रहे हो!

            .......राहुल राजपूत

किस्मत का पिता

खराद पर लौह चढ़ता,
ताम्र, पीतल या जस्ता,
आग में  रजत पकता,
आग में कनक तपता।
कुछ नया बनने को,
कुछ रूप गढ़ने को,
बाज़ार की मांगों पर,
बेशक खरा उतरने को!

तत्व विशेषता धातु की
केवल अपनी होती है!
किन्तु बाज़ारी मापदंडों पर,
उसे बेशक खरा बनाती है,
उसकी किस्मत!
कि किन हाथों से गढ़ा गया,
किन मशीनों पर चढ़ा गया,
प्रथम प्रस्तुति को उसका,
कितना अभिमान जड़ा गया।
और तब,
निखर के आती है चमक,
तत्व की असली कीमत!

मेरा मेरे नवजात शिशु को
बड़े भोलेपन से कह देना,
देखेंगे! ये क्या है लाया,
अपनी किस्मत का गहना!
सच बोलूं मैं, यह तो मेरी,
निपट जड़ता का आइना है।
मेरा उसका पिता होना ही,
उसकी किस्मत का बायना है!

तत्व विशेषता तो केवल,
किस्मत का एक हिस्सा है।
बाकी सब कुछ तो तेरी मेरी,
कारीगरी का किस्सा है!

Bank Account

 Neer has been insisting us to open his bank account since couple of months. So, Neha visited Axis bank, which is located within my society ...