Monday, August 27, 2018

इश्क़ ऐसा है मेरे जनाब का


तू किसी शायर की रुबाई
किसी छंद की बुनाई
जैसे तुलसी की चौपाई
शब्द प्यार की छपाई
सर्द रातों में......
सर्द रातों में......
सर्द रातों में   तू  अलाब-सा
इश्क़ ऐसा है मेरे जनाब का
तू किसी दूध की मलाई
किसी पीर की दुहाई
जैसे प्यास में सुराई
प्रेम धागे की बुनाई
चाँद तारों में ......
चाँद तारों में ......
चाँद-तारों में तू आफताब-सा
इश्क़ ऐसा है मेरे जनाब का
तू किसी राम की शहनाई
धुन श्याम की बनाई
जैसे कोई हवा पुरवाई
कलम-ए-इश्क़ की लिखाई
इन बहारों में......
इन बहारों में......
इन बहारों में तू  महताब-सा
इश्क़ ऐसा है मेरे जनाब  का
                  -----राहुल राजपूत

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