Sunday, August 26, 2018

.........................इश्क़ मेरा सच्चा सच्चा

ख्वाबों में चल रहा बस तेरा मेरा सिलसिला
मैं उड़ रहा कुछ फुरफुरा कुछ सिरफिरा 
थामना चाहूँ मैं हाथ तेरा हर सुबह, फिर  
इश्क़ क्यूँ हाथ से फिसल रहा कुछ रेत सा 
इश्क़ मेरा सच्चा सच्चा, काहे लगे तुझको कच्चा 
इश्क़ मेरा सच्चा सच्चा, काहे लगे तुझको कच्चा 

आसमां में उड़ रहा बिन डोर की पतंग सा
कट रहा लम्हा लम्हा, राह बांटते तेरी राह का
जादू चढ़ रहा तेरे इश्क़ का कुछ इस तरह 
जोड़ दूँ तेरे नाम से मेरे नाम का हर सिरा 
इश्क़ मेरा सच्चा सच्चा, काहे लगे तुझको कच्चा 
इश्क़ मेरा सच्चा सच्चा, काहे लगे तुझको कच्चा 

मैं नदी का एक किनारा तू नदी का दूसरा
मैं चलूँगा साथ तेरे,  इश्क़ का मुझे वास्ता  
 पत्थरो में फूल फूटे, ऐ खुदा तू ही बता 
क्यूँ  मान लू  इश्क़ मेरा इक तरफ का सिलसिला 
इश्क़ मेरा सच्चा सच्चा, काहे लगे तुझको कच्चा 
इश्क़ मेरा सच्चा सच्चा, काहे लगे तुझको कच्चा 

                                            ---------RR

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