Tuesday, January 1, 2013

2012


सुबह उठते हि,
उदासी साफ़ दिख रही थी
मैंने जैसे हि स्पर्श किया
मानो उसकी साँसे थम गयी
रंग फीका पड़ चुका था और
काया कुछ ढीली ....

एक दिन सभी को जाना है,
लेकिन, उसका दुर्भाग्य है कि
मौत पर उसकी दुनिया जश्न मानती है
और शायद यही नियम है
मैंने भी उसको एक कोने में डाल दिया !

No comments:

Post a Comment

सम्भालो हुस्न को अपने...

  सम्भालो हुस्न को अपने कहीं ज्यादा न हो जाए भला चंगा दिल-ए-नादां न यों आवारा हो जाए  नहीं मिला अगर मुझको तब भी कोई गिला नहीं चलो किस्मत अजम...