Saturday, October 1, 2011

गरबे की एक तरुण संध्या में!


गरबे की  एक  तरुण  संध्या में
सघन समूह में  कितने  मुखड़े
नृत्य  के  आनंद  से   सिंचित
खेलें    गरबा   डांडिया  पकडे
एक प्यारा मुखड़ा उसी समूह में
बिना  डोर  ही  मुझको जकड़े
जो   नैना  से    नैना     टकरावे
हृदय मेरा  फैले  फिर  सिकुड़े

नैन द्वार  से  अन्दर  आकर
मन  आँगन  पर   वो छा जावे
कारे  नैनो   की    बदरी   से
भाव  रंजित    मेघा   बरसावे
खो जाये मन  उसकी  धुन में
कौन  भला इसको  समझावे
गरबे की एक तरुण संध्या में !




2 comments:

Bank Account

 Neer has been insisting us to open his bank account since couple of months. So, Neha visited Axis bank, which is located within my society ...