my few days at my college ,i feel like...
वक़्त की रफ़्तार को काश मैं रोक पाता
तेरे साथ बिताया लम्हा, लम्हा ही रहता
पर गुजरे पल कैसे होंठो पर आते, गर
स्मृति दर्पण कोई चेहरा ही न देख पाता ?
संग पिया के, संग सजन के, होली आई! गाँव की गलियाँ, रंग में भीगी, होली आई! माटी की ख़ुशबू महकी, घर-आँगन तक जाने को, रेल चली फिर दूर नगर स...
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