Wednesday, April 16, 2014

उर्दू - क़ल्ब-ए-जुबाँ

सारा मुद्दा गर चन्दन, जनेऊ, कलावा, और रोली का होता
बता तू हि ग़ालिब, जुबाँ से तेरी इश्क़ मुझे फिर कैसे होता !

No comments:

Post a Comment

Socho

  सोचो कि ऊपर  न कोई जन्नत सोचो कि    नीचे न ही कोई दोजख  ऊपर जो देखें   बस देखें आसमां  सोचो की सब ही जियें बस आज में  सोचो    कि दुनिया ऐस...