किसने कहा था चाँद तुमसे
यूं निकलने को सज संवर के
क्या नहीं मालूम तुमको
क्या जमाना चल रहा है ?
छाये हैं अम्बर में जो
आज अनगिन श्याम-घन
चाँदनी को अपने तू
चार दीवारी में महफूज़ रख
क्या नहीं मालूम तुझको
पिछली पूनम में क्या हुआ था
चाँदनी का कतरा कतरा
श्याम-घन ही तो पी गया था
नीयत न डोली हो श्याम-घन की
क्या कभी एसा हुआ है ?
श्याम-घन और घन-श्याम में
अ चाँद, तू अंतर समझ!
~RR
Photo Courtesy: Google
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