Sunday, May 19, 2013

मत पूछ तुझको सुकून क्यूँ नहीं है



मत पूछ तुझको सुकून क्यूँ नहीं है
मत पूछ तुझको जूनून क्यूँ नहीं है
आफ़ताब बिन भला कहाँ रौशनी है?
जहाँ है मोहब्बत सुकून बस बही है
सुकून चाहता है तो कर ले मोहब्बत
जूनून चाहता है तो कर ले मोहब्बत

खुदी को मोहब्बत सा आबाद तो कर
मोहब्बत के जैसा या बदनाम तो कर
राधा का खुद को, घनश्याम तो कर
नुमाइश मोहब्बत, सरे-आम तो कर
फिर देख मोहब्बत में कैसा मज़ा है
मोहब्बत हि जीने की फिर बजह है 

प्याले सा खुद को जरा कर तो खाली
दिल को बना तेरे मोहब्बत की प्याली
मिटाने को तेरी प्यास जो भी है बाकी
दौड़ा आएगा खुद जाम छलकाता साकी
साकी को बाहों में गर न तू ने भरा है
सुरूर-ए-मय पूरा, क्या तुझको पता है ?

जमाने की नज़रो में मोहब्बत क्या है?
खुदा की इबादत या घिनौना गुनाह है?
इबादत है मोहब्बत, खुदी को फ़ना कर
गुनाह है मोहब्बत, शौक से गुनाह कर
 गर तू ने है ओढ़ा मोहब्बत का आँचल 
फिर क्या है गुनाह और क्या है इबादत?

No comments:

Post a Comment

Bank Account

 Neer has been insisting us to open his bank account since couple of months. So, Neha visited Axis bank, which is located within my society ...