Saturday, September 28, 2024

Bank Account

 Neer has been insisting us to open his bank account since couple of months. So, Neha visited Axis bank, which is located within my society premises. The bank manager handed over her card for further communication regarding new account of Neer. Neer has kept her card safely with him and keeps me reminding to open the account ASAP. Today, again he brought me bank managers visiting card and asked me when his bank account will be opened. I just asked Neer about bank Logo and its meaning. His answer was amazing! He said that Axis bank logo constitutes of two piece of gold bars. One big and other smaller. I asked why they used gold bars in the logo? He said, gold bar means money.

It’s a 5 years old kid observation. I had never thought of this logo like this. I just thought it “A”- the first letter of Axis bank. When i said him that logo stands for “A”, he said its not true A. It’s two piece of gold bar looking like A.

Friday, September 27, 2024

मुक्तक

 

रिवायत को जो रियायत मिले 
दीन को भी नयी आयत मिले ||
हो गयी हैं पुरानी कई रीतियाँ 
जीस्त को राह-ए-हिदायत मिले ||

~Rahul

Sunday, September 22, 2024

कैसे कैसे लोग हैं देखे

 

कैसे कैसे लोग हैं देखे, हमने दुनियादारी में |
कुछ ने जूते चाटे जी भर, कुछ जीये खुद्दारी में ||

सीधा सीधा कहने वाले हम केवल मासूम रहे |
ऊंची कुर्सी पर बैठों को गुण दीखे मक्कारी में||

कितना दौड़ो कितना भागो कस्तूरी का अंत कहाँ?
छोड़ो चिंता कल की, देखो फूल खिले फुलवारी में ||

सांस का आना जाना जैसे क्षण क्षण जीना सरल मगर |
पल का शैशव दफना बैठे, हम कल की तैयारी में ||

जीवन है तो दुःख भी होगा, क्यूँ इतना संताप करें |
हमने दुःख भी खुश हो भोगे सुख दुःख की अय्यारी में ||

खाने वाले अपच ग्रसित हैं भूखे व्याकुल खाने को |
अपनी अपनी काट रहे सब अलग अलग लाचारी में ||

पैसा पावर दोनों हों तो, कोर्ट कचहरी मंदिर है |
मजलूमों को गाली मिलती, बड़ी अकड़ अधिकारी में ||

न्यायालय का निर्णय आया जुगनू की गवाही से |
इलज़ाम में अँधा करने के बंद सूरज चार दीवारी में ||

होता मुश्किल उत्तर पाना मीठी जीभा वालों से |
तथ्य छोड़ सब बातें करते बातों की तह-दारी में ||

पढ़ने लिखने वालों को अब कौन भला आश्वस्त करे |
जब रील बनाने वाले घूमे हो कर मस्त फरारी में ||

साँसों का आना जाना है जीवन की ईकाई मगर |
असली जीना हमने जाना जीवन की फनकारी में ||

~राहुल 
Copyright (c)

Friday, September 20, 2024

मैं तुम्हारा नाम दिल में…

 

मैं तुम्हारा नाम दिल में, रोज जपता ही गया
किन्तु अधरों पर, अकिंचन, नाम ला पाया नहीं 

श्रृंगार के अवयव सारे
तुम मेँ प्रिये! मैंने देखे
आभा मण्डित नख-सिखाएं 
दो नयन जलधि सरीखे 
किन्तु लहरों में मैं नैय्या खुद चला पाया नहीं 
मैं तुम्हारा नाम दिल में, रोज जपता ही गया
किन्तु अधरों पर अकिंचन, नाम ला पाया नहीं 

फूल कलियाँ और तितली
जुगनुओं के खेल देखे
और उपवन में अनेको 
खग, गुलों के मेल देखे
किन्तु एकतरफ़ा प्रेम मेरा काम ला पाया नहीं 
मैं तुम्हारा नाम दिल में, रोज जपता ही गया
किन्तु अधरों पर अकिंचन, नाम ला पाया नहीं 

प्रेम के प्रतिमान देखे 
प्रीत के अभिमान देखे
यार के ही हाथों उठते 
वस्ल के दो ज़ाम देखे
किन्तु कम्पन में सिमट कर, दिल की कह पाया नहीं 
मैं तुम्हारा नाम दिल में, रोज जपता ही गया
किन्तु अधरों पर अकिंचन, नाम ला पाया नहीं 

द्वार पर उसके खड़े थे
भाग्य ने सब रस्ते मोड़े
खुद को नित लौ पर उडेला 
सविनत नत कर जोड़े 
खुद को दीये संग पतंगे-सा जला पाया नहीं
मैं तुम्हारा नाम दिल में, रोज जपता ही गया
किन्तु अधरों पर अकिंचन, नाम ला पाया नहीं
मैं अकेला मन ही मन में, खूब रटता ही गया
किन्तु तेंतीस फ़ीसदी भी परिणाम ला पाया नहीं 

- राहुल 
copyright (c) 

Wednesday, June 7, 2023

जरुरत नही है ...

 

मुझे अब तेरी जरुरत नहीं है
तेरे प्यार की भी ख्वाहिश नहीं है
कहानी थी एक
जिसके किरदार तुम थे
कहानी थी एक 
जिसके किरदार हम थे
अपना हिस्सा बखूबी तुमने निभाया 
तेरे ही लिए मैंने भी गीत गाया !

बिना अंत के हर कहानी अधूरी
हमारी कहानी भी हुई आज पूरी 
किरदारों का होता भविष्य ही है 
कलाकारों का सच नेपथ्य ही है 

कहानी ख़त्म,पर्दा ढल भी चुका है
स्क्रिप्ट का पन्ना जल भी चुका  है 

मुझे कोई तुझसे शिकायत नहीं है 
दर्द-ए-जुदाई कोई क़यामत नहीं है !

~राहुल 

Monday, May 1, 2023

आओ दिल दुखाने को ही सही

 

आओ दिल दुखाने को ही सही
आओ! आकर इंकार करो, ये  भी सही 

देखूं 
वो निगाहें जिनको 
क्या क्या न कहा 
जंगल-सी वे घनी
जिनमे पल पल भटका 
आओ आँखों में डुबाने को ही सही 
आओ! आकर इंकार करो, ये भी सही

सुनो 
जब से गया है तू
क्या  ही मैं बताऊँ 
सुखन या गीत कोई 
बिन तेरे कैसे गाऊं 
आओ फिर से यूं रुलाने को ही सही
आओ! आकर इंकार करो, ये भी सही

देखो 
कौन है वो जिसका 
ख्वाब दिन रात रहा
आँखों में तिरता सा 
हु-ब-हु तुझ ही सा
आओ मेरा भ्रम मिटाने को ही सही
आओ, आकर सब झूट कहो, ये भी सही 
आओ दिल दुखाने को ही सही
आओ! आकर इंकार करो, ये  भी सही

~राहुल 


मुक्तक


जो भी मिला वो ही खुदा का नेक इरादा है
उसकी नेमत माने तो, ये हद से ज्यादा है 
तू अकेला मैं अकेला, सब आधा आधा है 
क्या ही राजा, क्या प्रजा, क्या ही प्यादा है ?

~राहुल 

Saturday, March 18, 2023

मेरे रकीब को पता नहीं है

मेरे रकीब को पता नहीं है 
वो स्याही है काजल नहीं है 

तुमसे पहले वो मेरा था 
चेहरा उसका असल नहीं है 

बातें वफ़ा की मत करना 
रस्म-ए-वफ़ा आजकल नहीं है

मिलना बिछड़ना दस्तूर है 
कोई ताल्लुक अज़ल नहीं है 

उसकी सोहबत में जाना 
प्यार की शर्त वसल नहीं है.

बहुत मीठी है उसकी बोली
ग़ज़ल सी है पर ग़ज़ल नहीं है 

सब कुछ होना कुछ भी नहीं
खुदा की गर फ़ज़ल नहीं है. 

~ rahul
अज़ल = शाश्वत, वस्ल = मिलन , फ़ज़ल =कृपा 

Wednesday, March 8, 2023

होली का रंग जी भर देखा

 

मेरे चेहरे ने होली का रंग जी भर देखा 
और नजरिया रखने वालों ने बस मुझको बेरंग देखा 

भाई ने अपना, माँ ने लाड में दुबला देखा 
यार दोस्तों की मंडली ने वही पुराना हुड़दंग देखा 

ख्वाब उकेरती उसकी आँखे जादूगरनी 
मैंने उसकी आँखों में हर रंग जीवन का संग संग देखा 

जग सीमा तय करता आया, हे हिरनी 
जब जब लैला ने खुद का बंन्धन मजनू के संग संग देखा 

पुरुषवाद की बेड़ी तोड़ो, जीवन जननी!
मनुवाद को, आडम्बर को निपट नराधम बेढंग देखा 

चश्म-ए-बद से दो दो हाथ करो, मोहिनी!
न्याय व्यवस्था, सरकारों को बीच चौराहे अध् नंग देखा

अलमस्त दीवानों ने दुनिया को सतरंग देखा
और सिकंदर जैसों ने जग को इक मैदान-ए-जंग देखा 

~राहुल 

Friday, March 3, 2023

क़त्ल-ए-आम करती है

 

क़त्ल-ए-आम करती है वो नश्तर-सी आँखों से
बड़े बेचैन लगते हो मिलन को उस कातिल से

जो कहना था कह डाला इशारों ही इशारों में 
कोई खुश था, कोई लौटा बड़ा मायूस महफ़िल से 

भंवर इतना घना था कि मेरा डूबना तय था
खुदा ही था; बचाने जो मुझे आया साहिल से 

अहमियत कम ही रखता है हुनर-ए-खास का होना 
मगर ज्यादा जरुरी है दिखें किरदार काबिल-से 

ये मुमकिन है घने जंगल सलामत पार कर जाओ 
अक्सर सांप डसते हैं निकल आस्तीनों के बिल से

तू ही अकेला है नहीं जो उम्रभर नौकरी करता 
बचत के नाम पर एक घर बना पाता है मुश्किल से

~Rahul

Friday, February 17, 2023

तुम्हारा चेहरा बता रहा है

 

छिपा हुआ था जो भी अंदर 
अक्षर अक्षर सुना चुके हो
तुम्हारा चेहरा बता रहा है 
इश्क़-दरिया नहा चुके हो 

अगर ख़ुशी का चेहरा होता 
हू-ब-हू वो तुम्हारे होता 
झलक रहा है निगाहों से 
अनमोल कुछ पा चुके हो 

आब ओ हवा बदल चुकी है
मन में खुशबू बिखर रही है 
तुम्हारा चलना बता रहा है 
अपना इरादा जता चुके हो 

छिपाओ इत्र छिपता कहाँ है 
हाल तेरा मुकम्मल बयां है 
कौन है वो जिसकी हाँ में
अपनी हाँ तुम मिला चुके हो 

~राहुल 

Bank Account

 Neer has been insisting us to open his bank account since couple of months. So, Neha visited Axis bank, which is located within my society ...